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اِنَّهُمْ اِنْ يَّظْهَرُوْا عَلَيْكُمْ يَرْجُمُوْكُمْ اَوْ يُعِيْدُوْكُمْ فِيْ مِلَّتِهِمْ وَلَنْ تُفْلِحُوْٓا اِذًا اَبَدًا  ( الكهف: ٢٠ )

"Indeed [they]
إِنَّهُمْ
बेशक वो
if
إِن
अगर
they come to know
يَظْهَرُوا۟
वो मुत्तिलाअ हो गए
about you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
they will stone you
يَرْجُمُوكُمْ
वो संगसार कर देंगे तुम्हें
or
أَوْ
या
return you
يُعِيدُوكُمْ
वो लौटा ले जाऐंगे तुम्हें
to
فِى
अपनी मिल्लत में
their religion
مِلَّتِهِمْ
अपनी मिल्लत में
And never
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
will you succeed
تُفْلِحُوٓا۟
तुम फ़लाह पाओगे
then -
إِذًا
तब
ever"
أَبَدًا
कभी भी

Innahum in yathharoo 'alaykum yarjumookum aw yu'eedookum fee millatihim walan tuflihoo ithan abadan (al-Kahf 18:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि वे कहीं तुम्हारी ख़बर पा जाएँगे तो पथराव करके तुम्हें मार डालेंगे या तुम्हें अपने पंथ में लौटा ले जाएँगे और तब तो तुम कभी भी सफल न पो सकोगे।'

English Sahih:

Indeed, if they come to know of you, they will stone you or return you to their religion. And never would you succeed, then – ever." ([18] Al-Kahf : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इसमें शक़ नहीं कि अगर उन लोगों को तुम्हारी इत्तेलाअ हो गई तो बस फिर तुम को संगसार ही कर देंगें या फिर तुम को अपने दीन की तरफ फेर कर ले जाएँगे और अगर ऐसा हुआ तो फिर तुम कभी कामयाब न होगे