حَتّٰىٓ اِذَا بَلَغَ مَطْلِعَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَطْلُعُ عَلٰى قَوْمٍ لَّمْ نَجْعَلْ لَّهُمْ مِّنْ دُوْنِهَا سِتْرًا ۙ ( الكهف: ٩٠ )
Until
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
when
إِذَا
जब
he reached
بَلَغَ
वो पहुँच गया
(the) rising place
مَطْلِعَ
तुलूअ होने की जगह
(of) the sun
ٱلشَّمْسِ
सूरज के
and he found it
وَجَدَهَا
उसने पाया उसे
rising
تَطْلُعُ
कि वो तुलूअ हो रहा है
on
عَلَىٰ
उन लोगों पर
a community
قَوْمٍ
उन लोगों पर
not
لَّمْ
नहीं
We made
نَجْعَل
बनाया हमने
for them
لَّهُم
उनके लिए
against it
مِّن
उस (सूरज) के आगे
against it
دُونِهَا
उस (सूरज) के आगे
any shelter
سِتْرًا
कोई परदा/ओट
Hatta itha balagha matli'a alshshamsi wajadaha tatlu'u 'ala qawmin lam naj'al lahum min dooniha sitran (al-Kahf 18:90)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यहाँ तक कि जब वह सूर्योदय स्थल पर जा पहुँचा तो उसने उसे ऐसे लोगों पर उदित होते पाया जिनके लिए हमने सूर्य के मुक़ाबले में कोई ओट नहीं रखी थी
English Sahih:
Until, when he came to the rising of the sun [i.e., the east], he found it rising on a people for whom We had not made against it any shield. ([18] Al-Kahf : 90)