اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَتْلُوْنَهٗ حَقَّ تِلَاوَتِهٖۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ ( البقرة: ١٢١ )
Those
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
We have given them
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
the Book
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
recite it
يَتْلُونَهُۥ
वो तिलावत करते हैं उसकी
(as it has the) right
حَقَّ
हक़ है (जैसा)
(of) its recitation
تِلَاوَتِهِۦٓ
उसकी तिलावत का
Those (people)
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
believe
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
in it
بِهِۦۗ
उस पर
And whoever
وَمَن
और जो कोई
disbelieves
يَكْفُرْ
कुफ़्र करेगा
in it
بِهِۦ
उसका
then those
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
they
هُمُ
वो
(are) the losers
ٱلْخَٰسِرُونَ
जो ख़सारा पाने वाले हैं
Allatheena ataynahumu alkitaba yatloonahu haqqa tilawatihi olaika yuminoona bihi waman yakfur bihi faolaika humu alkhasiroona (al-Baq̈arah 2:121)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों को हमने किताब दी है उनमें वे लोग जो उसे उस तरह पढ़ते है जैसा कि उसके पढ़ने का हक़ है, वही उसपर ईमान ला रहे है, और जो उसका इनकार करेंगे, वही घाटे में रहनेवाले है
English Sahih:
Those to whom We have given the Book recite it with its true recital. They [are the ones who] believe in it. And whoever disbelieves in it – it is they who are the losers. ([2] Al-Baqarah : 121)