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وَاِذْ قُلْنَا ادْخُلُوْا هٰذِهِ الْقَرْيَةَ فَكُلُوْا مِنْهَا حَيْثُ شِئْتُمْ رَغَدًا وَّادْخُلُوا الْبَابَ سُجَّدًا وَّقُوْلُوْا حِطَّةٌ نَّغْفِرْ لَكُمْ خَطٰيٰكُمْ ۗ وَسَنَزِيْدُ الْمُحْسِنِيْنَ   ( البقرة: ٥٨ )

And when
وَإِذْ
और जब
We said
قُلْنَا
कहा हमने
"Enter
ٱدْخُلُوا۟
दाख़िल हो जाओ
this
هَٰذِهِ
इस
town
ٱلْقَرْيَةَ
बस्ती में
then eat
فَكُلُوا۟
फिर खाओ
from [it]
مِنْهَا
उसमें से
wherever
حَيْثُ
जहाँ से
you wish[ed]
شِئْتُمْ
चाहो तुम
abundantly
رَغَدًا
फ़राग़त से
and enter
وَٱدْخُلُوا۟
और दाख़िल हो जाओ
the gate
ٱلْبَابَ
दरवाज़े से
prostrating
سُجَّدًا
सजदा करते हुए
And say
وَقُولُوا۟
और कहो
"Repentance
حِطَّةٌ
हित्तातुन (बख़्श दे)
We will forgive
نَّغْفِرْ
हम बख़्श देंगे
for you
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
your sins
خَطَٰيَٰكُمْۚ
ख़ताऐं तुम्हारी
And We will increase
وَسَنَزِيدُ
और अनक़रीब हम ज़्यादा देंगे
the good-doers (in reward)"
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों को

Waith qulna odkhuloo hathihi alqaryata fakuloo minha haythu shitum raghadan waodkhuloo albaba sujjadan waqooloo hittatun naghfir lakum khatayakum wasanazeedu almuhsineena (al-Baq̈arah 2:58)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जब हमने कहा था, 'इस बस्ती में प्रवेश करो फिर उसमें से जहाँ से चाहो जी भर खाओ, और बस्ती के द्वार में सजदागुज़ार बनकर प्रवेश करो और कहो, 'छूट हैं।' हम तुम्हारी खताओं को क्षमा कर देंगे और अच्छे से अच्छा काम करनेवालों पर हम और अधिक अनुग्रह करेंगे।'

English Sahih:

And [recall] when We said, "Enter this city [i.e., Jerusalem] and eat from it wherever you will in [ease and] abundance, and enter the gate bowing humbly and say, 'Relieve us of our burdens [i.e., sins].' We will [then] forgive your sins for you, and We will increase the doers of good [in goodness and reward]." ([2] Al-Baqarah : 58)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (वह वक्त भी याद करो) जब हमने तुमसे कहा कि इस गाँव (अरीहा) में जाओ और इसमें जहाँ चाहो फराग़त से खाओ (पियो) और दरवाज़े पर सजदा करते हुए और ज़बान से हित्ता बख्शिश कहते हुए आओ तो हम तुम्हारी ख़ता ये बख्श देगे और हम नेकी करने वालों की नेकी (सवाब) बढ़ा देगें