ثُمَّ اَنْتُمْ هٰٓؤُلَاۤءِ تَقْتُلُوْنَ اَنْفُسَكُمْ وَتُخْرِجُوْنَ فَرِيْقًا مِّنْكُمْ مِّنْ دِيَارِهِمْۖ تَظٰهَرُوْنَ عَلَيْهِمْ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِۗ وَاِنْ يَّأْتُوْكُمْ اُسٰرٰى تُفٰدُوْهُمْ وَهُوَ مُحَرَّمٌ عَلَيْكُمْ اِخْرَاجُهُمْ ۗ اَفَتُؤْمِنُوْنَ بِبَعْضِ الْكِتٰبِ وَتَكْفُرُوْنَ بِبَعْضٍۚ فَمَا جَزَاۤءُ مَنْ يَّفْعَلُ ذٰلِكَ مِنْكُمْ اِلَّا خِزْيٌ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚوَيَوْمَ الْقِيٰمَةِ يُرَدُّوْنَ اِلٰٓى اَشَدِّ الْعَذَابِۗ وَمَا اللّٰهُ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُوْنَ ( البقرة: ٨٥ )
Thumma antum haolai taqtuloona anfusakum watukhrijoona fareeqan minkum min diyarihim tathaharoona 'alayhim bialithmi waal'udwani wain yatookum osara tufadoohum wahuwa muharramun 'alaykum ikhrajuhum afatuminoona biba'di alkitabi watakfuroona biba'din fama jazao man yaf'alu thalika minkum illa khizyun fee alhayati alddunya wayawma alqiyamati yuraddoona ila ashaddi al'athabi wama Allahu bighafilin 'amma ta'maloona (al-Baq̈arah 2:85)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर तुम वही हो कि अपने लोगों की हत्या करते हो और अपने ही एक गिरोह के लोगों को उनकी बस्तियों से निकालते हो; तुम गुनाह और ज़्यादती के साथ उनके विरुद्ध एक-दूसरे के पृष्ठपोषक बन जाते हो; और यदि वे बन्दी बनकर तुम्हारे पास आते है, तो उनकी रिहाई के लिए फिद्ए (अर्थदंड) का लेन-देन करते हो जबकि उनको उनके घरों से निकालना ही तुम पर हराम था, तो क्या तुम किताब के एक हिस्से को मानते हो और एक को नहीं मानते? फिर तुममें जो ऐसा करें उसका बदला इसके सिवा और क्या हो सकता है कि सांसारिक जीवन में अपमान हो? और क़यामत के दिन ऐसे लोगों को कठोर से कठोर यातना की ओर फेर दिया जाएगा। अल्लाह उससे बेखबर नहीं है जो कुछ तुम कर रहे हो
English Sahih:
Then, you are those [same ones who are] killing one another and evicting a party of your people from their homes, cooperating against them in sin and aggression. And if they come to you as captives, you ransom them, although their eviction was forbidden to you. So do you believe in part of the Scripture and disbelieve in part? Then what is the recompense for those who do that among you except disgrace in worldly life; and on the Day of Resurrection they will be sent back to the severest of punishment. And Allah is not unaware of what you do. ([2] Al-Baqarah : 85)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये है कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खुदा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो पस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि ज़िन्दगी भर की रूसवाई हो और (आख़िरकार) क़यामत के दिन सख्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खुदा उससे ग़ाफ़िल नहीं है