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وَكَذٰلِكَ نَجْزِيْ مَنْ اَسْرَفَ وَلَمْ يُؤْمِنْۢ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖۗ وَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَشَدُّ وَاَبْقٰى   ( طه: ١٢٧ )

And thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
We recompense
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
(he) who
مَنْ
उसको जो
transgresses
أَسْرَفَ
हद से गुज़र जाए
and not
وَلَمْ
और ना
believes
يُؤْمِنۢ
वो ईमान लाए
in (the) Signs
بِـَٔايَٰتِ
आयात पर
(of) his Lord
رَبِّهِۦۚ
अपने रब की
And surely (the) punishment
وَلَعَذَابُ
और अलबत्ता अज़ाब
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
(is) more severe
أَشَدُّ
ज़्यादा शदीद है
and more lasting
وَأَبْقَىٰٓ
और ज़्यादा बाक़ी रहने वाला

Wakathalika najzee man asrafa walam yumin biayati rabbihi wala'athabu alakhirati ashaddu waabqa (Ṭāʾ Hāʾ 20:127)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है

English Sahih:

And thus do We recompense he who transgressed and did not believe in the signs of his Lord. And the punishment of the Hereafter is more severe and more enduring. ([20] Taha : 127)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिसने (हद से) तजाविज़ किया और अपने परवरदिगार की आयतों पर ईमान न लाया उसको ऐसी ही बदला देगें और आख़िरत का अज़ाब तो यक़ीनी बहुत सख्त और बहुत देर पा है