قَالَ هِيَ عَصَايَۚ اَتَوَكَّؤُا عَلَيْهَا وَاَهُشُّ بِهَا عَلٰى غَنَمِيْ وَلِيَ فِيْهَا مَاٰرِبُ اُخْرٰى ( طه: ١٨ )
He said
قَالَ
कहा
"It
هِىَ
ये
(is) my staff;
عَصَاىَ
मेरी लाठी/असा है
I lean
أَتَوَكَّؤُا۟
मैं सहारा लेता हूँ
upon it
عَلَيْهَا
इस पर
and I bring down leaves
وَأَهُشُّ
और मैं पत्ते झाड़ता हूँ
with it
بِهَا
साथ इसके
for
عَلَىٰ
अपनी बकरियों पर
my sheep
غَنَمِى
अपनी बकरियों पर
and for me
وَلِىَ
और मेरे लिए
in it
فِيهَا
इसमें
(are) uses
مَـَٔارِبُ
फ़ायदे हैं
other"
أُخْرَىٰ
कुछ दूसरे
Qala hiya 'asaya atawakkao 'alayha waahushshu biha 'ala ghanamee waliya feeha maaribu okhra (Ṭāʾ Hāʾ 20:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।'
English Sahih:
He said, "It is my staff; I lean upon it, and I bring down leaves for my sheep and I have therein other uses." ([20] Taha : 18)