وَلَا يَزَالُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْهُ حَتّٰى تَأْتِيَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً اَوْ يَأْتِيَهُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَقِيْمٍ ( الحج: ٥٥ )
And not
وَلَا
और हमेशा रहेंगे
will cease
يَزَالُ
और हमेशा रहेंगे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
(to be) in
فِى
शक में
doubt
مِرْيَةٍ
शक में
of it
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
comes to them
تَأْتِيَهُمُ
आ जाएगी उनके पास
the Hour
ٱلسَّاعَةُ
घड़ी
suddenly
بَغْتَةً
अचानक
or
أَوْ
या
comes to them
يَأْتِيَهُمْ
आ जाएगा उनके पास
(the) punishment
عَذَابُ
अज़ाब
(of) a Day
يَوْمٍ
दिन
barren
عَقِيمٍ
बाँझ का
Wala yazalu allatheena kafaroo fee miryatin minhu hatta tatiyahumu alssa'atu baghtatan aw yatiyahum 'athabu yawmin 'aqeemin (al-Ḥajj 22:55)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिन लोगों ने इनकार किया वे सदैव इसकी ओर से सन्देह में पड़े रहेंगे, यहाँ तक कि क़ियामत की घड़ी अचानक उनपर आ जाए या एक अशुभ दिन की यातना उनपर आ पहुँचे
English Sahih:
But those who disbelieve will not cease to be in doubt of it until the Hour comes upon them unexpectedly or there comes to them the punishment of a barren Day. ([22] Al-Hajj : 55)