وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ لَمَسَّكُمْ فِيْ مَآ اَفَضْتُمْ فِيْهِ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ( النور: ١٤ )
And if not
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
(for the) Grace
فَضْلُ
फ़ज़ल
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
upon you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
and His Mercy
وَرَحْمَتُهُۥ
और रहमत उसकी
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
and the Hereafter
وَٱلْءَاخِرَةِ
और आख़िरत में
surely would have touched you
لَمَسَّكُمْ
यक़ीनन पहुँचता तुम्हें
in
فِى
उसमें से जो
what
مَآ
उसमें से जो
you had rushed glibly
أَفَضْتُمْ
पड़ गए थे तुम
concerning it
فِيهِ
जिसमें
a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब
great
عَظِيمٌ
बहुत बड़ा
Walawla fadlu Allahi 'alaykum warahmatuhu fee alddunya waalakhirati lamassakum fee ma afadtum feehi 'athabun 'atheemun (an-Nūr 24:14)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि तुमपर दुनिया और आख़िरत में अल्लाह की उदार कृपा और उसकी दयालुता न होती तो जिस बात में तुम पड़ गए उसके कारण तुम्हें एक बड़ी यातना आ लेती
English Sahih:
And if it had not been for the favor of Allah upon you and His mercy in this world and the Hereafter, you would have been touched for that [lie] in which you were involved by a great punishment ([24] An-Nur : 14)