قُلْ اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَۚ فَاِنْ تَوَلَّوْا فَاِنَّمَا عَلَيْهِ مَا حُمِّلَ وَعَلَيْكُمْ مَّا حُمِّلْتُمْۗ وَاِنْ تُطِيْعُوْهُ تَهْتَدُوْاۗ وَمَا عَلَى الرَّسُوْلِ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِيْنُ ( النور: ٥٤ )
Qul atee'oo Allaha waatee'oo alrrasoola fain tawallaw fainnama 'alayhi ma hummila wa'alaykum ma hummiltum wain tutee'oohu tahtadoo wama 'ala alrrasooli illa albalaghu almubeena (an-Nūr 24:54)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'अल्लाह का आज्ञापालन करो और उसके रसूल का कहा मानो। परन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो उसपर तो बस वही ज़िम्मेदारी है जिसका बोझ उसपर डाला गया है, और तुम उसके ज़िम्मेदार हो जिसका बोझ तुमपर डाला गया है। और यदि तुम आज्ञा का पालन करोगे तो मार्ग पा लोगे। और रसूल पर तो बस साफ़-साफ़ (संदेश) पहुँचा देने ही की ज़िम्मेदारी है
English Sahih:
Say, "Obey Allah and obey the Messenger; but if you turn away – then upon him is only that [duty] with which he has been charged, and upon you is that with which you have been charged. And if you obey him, you will be [rightly] guided. And there is not upon the Messenger except the [responsibility for] clear notification." ([24] An-Nur : 54)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की इताअत करो इस पर भी अगर तुम सरताबी करोगे तो बस रसूल पर इतना ही (तबलीग़) वाजिब है जिसके वह ज़िम्मेदार किए गए हैं और जिसके ज़िम्मेदार तुम बनाए गए हो तुम पर वाजिब है और अगर तुम उसकी इताअत करोगे तो हिदायत पाओगे और रसूल पर तो सिर्फ साफ तौर पर (एहकाम का) पहुँचाना फर्ज है