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وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَيْهِ الْقُرْاٰنُ جُمْلَةً وَّاحِدَةً ۛ كَذٰلِكَ ۛ لِنُثَبِّتَ بِهٖ فُؤَادَكَ وَرَتَّلْنٰهُ تَرْتِيْلًا   ( الفرقان: ٣٢ )

And said
وَقَالَ
और कहा
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
"Why not
لَوْلَا
क्यों नहीं
was revealed
نُزِّلَ
नाज़िल किया गया
to him
عَلَيْهِ
उस पर
the Quran
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
all at once?"
جُمْلَةً
इकट्ठा
all at once?"
وَٰحِدَةًۚ
एक ही बार
Thus
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
that We may strengthen
لِنُثَبِّتَ
ताकि हम मज़बूत कर दें
thereby
بِهِۦ
साथ इसके
your heart
فُؤَادَكَۖ
दिल आपका
and We have recited it
وَرَتَّلْنَٰهُ
और ठहर-ठहर कर पढ़ा हमने उसे
(with distinct) recitation
تَرْتِيلًا
ठहर-ठहर कर पढ़ना

Waqala allatheena kafaroo lawla nuzzila 'alayhi alquranu jumlatan wahidatan kathalika linuthabbita bihi fuadaka warattalnahu tarteelan (al-Furq̈ān 25:32)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जिन लोगों ने इनकार किया उनका कहना है कि 'उसपर पूरा क़ुरआन एक ही बार में क्यों नहीं उतारा?' ऐसा इसलिए किया गया ताकि हम इसके द्वारा तुम्हारे दिल को मज़बूत रखें और हमने इसे एक उचित क्रम में रखा

English Sahih:

And those who disbelieve say, "Why was the Quran not revealed to him all at once?" Thus [it is] that We may strengthen thereby your heart. And We have spaced it distinctly. ([25] Al-Furqan : 32)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और कुफ्फार कहने लगे कि उनके ऊपर (आख़िर) क़ुरान का कुल (एक ही दफा) क्यों नहीं नाज़िल किया गया (हमने) इस तरह इसलिए (नाज़िल किया) ताकि तुम्हारे दिल को तस्कीन देते रहें और हमने इसको ठहर ठहर कर नाज़िल किया