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قُلْ مَا يَعْبَؤُا بِكُمْ رَبِّيْ لَوْلَا دُعَاۤؤُكُمْۚ فَقَدْ كَذَّبْتُمْ فَسَوْفَ يَكُوْنُ لِزَامًا ࣖ  ( الفرقان: ٧٧ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Not
مَا
ना
will care
يَعْبَؤُا۟
परवाह करता
for you
بِكُمْ
तुम्हारी
my Lord
رَبِّى
रब मेरा
if not
لَوْلَا
अगर ना होती
your prayer (is to Him)
دُعَآؤُكُمْۖ
दुआ तुम्हारी
But verily
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
you have denied
كَذَّبْتُمْ
झुठला दिया तुम ने
so soon
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
will be
يَكُونُ
होगा
the inevitable (punishment)"
لِزَامًۢا
चिमट जाने वाला (अज़ाब)

Qul ma ya'bao bikum rabbee lawla du'aokum faqad kaththabtum fasawfa yakoonu lizaman (al-Furq̈ān 25:77)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'मेरे रब को तुम्हारी कोई परवाह नहीं अगर तुम (उसको) न पुकारो। अब जबकि तुम झुठला चुके हो, तो शीघ्र ही वह चीज़ चिमट जानेवाली होगी।'

English Sahih:

Say, "What would my Lord care for you if not for your supplication?" For you [disbelievers] have denied, so it [i.e., your denial] is going to be adherent. ([25] Al-Furqan : 77)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर दुआ नही किया करते तो मेरा परवरदिगार भी तुम्हारी कुछ परवाह नही करता तुमने तो (उसके रसूल को) झुठलाया तो अन क़रीब ही (उसका वबाल) तुम्हारे सर पडेग़ा