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وَنُرِيْدُ اَنْ نَّمُنَّ عَلَى الَّذِيْنَ اسْتُضْعِفُوْا فِى الْاَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ اَىِٕمَّةً وَّنَجْعَلَهُمُ الْوٰرِثِيْنَ ۙ  ( القصص: ٥ )

And We wanted
وَنُرِيدُ
और हम चाहते थे
to
أَن
कि
bestow a favor
نَّمُنَّ
हम एहसान करें
upon
عَلَى
उन पर जो
those who
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
were oppressed
ٱسْتُضْعِفُوا۟
कमज़ोर बनाए गए थे
in
فِى
ज़मीन में
the land
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
and make them
وَنَجْعَلَهُمْ
और हम बनाऐं उन्हें
leaders
أَئِمَّةً
इमाम /पेशवा
and make them
وَنَجْعَلَهُمُ
और हम बनाऐं उन्हें
the inheritors
ٱلْوَٰرِثِينَ
वारिस

Wanureedu an namunna 'ala allatheena istud'ifoo fee alardi wanaj'alahum aimmatan wanaj'alahumu alwaritheena (al-Q̈aṣaṣ 28:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और हम यह चाहते थे कि उन लोगों पर उपकार करें, जो धरती में कमज़ोर पड़े थे और उन्हें नायक बनाएँ और उन्हीं को वारिस बनाएँ

English Sahih:

And We wanted to confer favor upon those who were oppressed in the land and make them leaders and make them inheritors ([28] Al-Qasas : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ