وَقِيْلَ ادْعُوْا شُرَكَاۤءَكُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ يَسْتَجِيْبُوْا لَهُمْ ۗوَرَاَوُا الْعَذَابَۚ لَوْ اَنَّهُمْ كَانُوْا يَهْتَدُوْنَ ( القصص: ٦٤ )
And it will be said
وَقِيلَ
और कहा जाएगा
"Call
ٱدْعُوا۟
पुकारो
your partners"
شُرَكَآءَكُمْ
अपने शरीकों को
And they will call them
فَدَعَوْهُمْ
तो वो पुकारेंगे उन्हें
but not
فَلَمْ
फिर ना
they will respond
يَسْتَجِيبُوا۟
वो जवाब देंगे
to them
لَهُمْ
उन्हें
and they will see
وَرَأَوُا۟
और वो देख लेंगे
the punishment
ٱلْعَذَابَۚ
अज़ाब को
If only
لَوْ
काश
[that] they
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
had been
كَانُوا۟
होते वो
guided!
يَهْتَدُونَ
वो हिदायत पाते
Waqeela od'oo shurakaakum fada'awhum falam yastajeeboo lahum waraawoo al'athaba law annahum kanoo yahtadoona (al-Q̈aṣaṣ 28:64)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहा जाएगा, 'पुकारो, अपने ठहराए हुए साझीदारों को!' तो वे उन्हें पुकारेंगे, किन्तु वे उनको कोई उत्तर न देंगे। और वे यातना देखकर रहेंगे। काश वे मार्ग पानेवाले होते!
English Sahih:
And it will be said, "Invoke your 'partners,'" and they will invoke them; but they will not respond to them, and they will see the punishment. If only they had followed guidance! ([28] Al-Qasas : 64)