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وَاَصْبَحَ الَّذِيْنَ تَمَنَّوْا مَكَانَهٗ بِالْاَمْسِ يَقُوْلُوْنَ وَيْكَاَنَّ اللّٰهَ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ وَيَقْدِرُۚ لَوْلَآ اَنْ مَّنَّ اللّٰهُ عَلَيْنَا لَخَسَفَ بِنَا ۗوَيْكَاَنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الْكٰفِرُوْنَ ࣖ   ( القصص: ٨٢ )

And began
وَأَصْبَحَ
और सुबह की
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
(had) wished
تَمَنَّوْا۟
तमन्ना कर रहे थे
his position
مَكَانَهُۥ
उसके मक़ाम की
the day before
بِٱلْأَمْسِ
कल तक
(to) say
يَقُولُونَ
वो कह रहे थे
"Ah! That
وَيْكَأَنَّ
अफ़सोस,बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
extends
يَبْسُطُ
वो फैला देता है
the provision
ٱلرِّزْقَ
रिज़्क़
for whom
لِمَن
जिसके लिए
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
of
مِنْ
अपने बन्दों में से
His slaves
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों में से
and restricts it
وَيَقْدِرُۖ
और वो तंग कर देता है
If not
لَوْلَآ
अगर ना होता
that
أَن
ये कि
Allah had favored
مَّنَّ
एहसान करता
Allah had favored
ٱللَّهُ
अल्लाह
[to] us
عَلَيْنَا
हम पर
He would have caused it to swallow us
لَخَسَفَ
अलबत्ता वो धँसा देता
He would have caused it to swallow us
بِنَاۖ
हमें (भी)
Ah! That
وَيْكَأَنَّهُۥ
अफ़सोस, बेशक वो
not
لَا
नहीं वो फ़लाह पाते
will succeed
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाते
the disbelievers"
ٱلْكَٰفِرُونَ
जो काफ़िर हैं

Waasbaha allatheena tamannaw makanahu bialamsi yaqooloona waykaanna Allaha yabsutu alrrizqa liman yashao min 'ibadihi wayaqdiru lawla an manna Allahu 'alayna lakhasafa bina waykaannahu la yuflihu alkafiroona (al-Q̈aṣaṣ 28:82)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब वही लोग, जो कल उसके पद की कामना कर रहे थे, कहने लगें, 'अफ़सोस हम भूल गए थे कि अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि अल्लाह ने हमपर उपकार न किया होता तो हमें भी धँसा देता। अफ़सोस हम भूल गए थे कि इनकार करनेवाले सफल नहीं हुआ करते।'

English Sahih:

And those who had wished for his position the previous day began to say, "Oh, how Allah extends provision to whom He wills of His servants and restricts it! If not that Allah had conferred favor on us, He would have caused it to swallow us. Oh, how the disbelievers do not succeed!" ([28] Al-Qasas : 82)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों ने कल उसके जाह व मरतबे की तमन्ना की थी वह (आज ये तमाशा देखकर) कहने लगे अरे माज़अल्लाह ये तो ख़ुदा ही अपने बन्दों से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसकी रोज़ी चाहता है तंग कर देता है और अगर (कहीं) ख़ुदा हम पर मेहरबानी न करता (और इतना माल दे देता) तो उसकी तरह हमको भी ज़रुर धॅसा देता-और माज़अल्लाह (सच है) हरगिज़ कुफ्फार अपनी मुरादें न पाएँगें