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وَمَنْ جَاهَدَ فَاِنَّمَا يُجَاهِدُ لِنَفْسِهٖ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِيٌّ عَنِ الْعٰلَمِيْنَ   ( العنكبوت: ٦ )

And whoever
وَمَن
और जो कोई
strives
جَٰهَدَ
जिहाद करे
then only
فَإِنَّمَا
तो बेशक
he strives
يُجَٰهِدُ
वो जिहाद करता है
for himself
لِنَفْسِهِۦٓۚ
अपने नफ़्स के लिए
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(is) Free from need
لَغَنِىٌّ
अलबत्ता बहुत बेनियाज़ है
of
عَنِ
तमाम जहान वालों से
the worlds
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों से

Waman jahada fainnama yujahidu linafsihi inna Allaha laghaniyyun 'ani al'alameena (al-ʿAnkabūt 29:6)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जो व्यक्ति (अल्लाह के मार्ग में) संघर्ष करता है वह तो स्वयं अपने ही लिए संघर्ष करता है। निश्चय ही अल्लाह सारे संसार से निस्पृह है

English Sahih:

And whoever strives only strives for [the benefit of] himself. Indeed, Allah is Free from need of the worlds. ([29] Al-'Ankabut : 6)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो शख्स (इबादत में) कोशिश करता है तो बस अपने ही वास्ते कोशिश करता है (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा सारे जहाँन (की इबादत) से बेनियाज़ है