اَفَمَنِ اتَّبَعَ رِضْوَانَ اللّٰهِ كَمَنْۢ بَاۤءَ بِسَخَطٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَأْوٰىهُ جَهَنَّمُ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ( آل عمران: ١٦٢ )
So is (the one) who
أَفَمَنِ
क्या भला वो जो
pursues
ٱتَّبَعَ
पैरवी करे
(the) pleasure
رِضْوَٰنَ
अल्लाह की रज़ा की
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की रज़ा की
like (the one) who
كَمَنۢ
उसकी तरह हो सकता है जो
draws
بَآءَ
पलटे
on (himself) wrath
بِسَخَطٍ
साथ नाराज़गी के
of
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
and his abode
وَمَأْوَىٰهُ
और ठिकाना उसका
(is) hell
جَهَنَّمُۚ
जहन्नम हो
and wretched
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
(is) the destination?
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह
Afamani ittaba'a ridwana Allahi kaman baa bisakhatin mina Allahi wamawahu jahannamu wabisa almaseeru (ʾĀl ʿImrān 3:162)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
भला क्या जो व्यक्ति अल्लाह की इच्छा पर चले वह उस जैसा हो सकता है जो अल्लाह के प्रकोप का भागी हो चुका हो और जिसका ठिकाना जहन्नम है? और वह क्या ही बुरा ठिकाना है
English Sahih:
So is one who pursues the pleasure of Allah like one who brings upon himself the anger of Allah and whose refuge is Hell? And wretched is the destination. ([3] Ali 'Imran : 162)