يَوْمَ تَجِدُ كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ مِنْ خَيْرٍ مُّحْضَرًا ۛوَمَا عَمِلَتْ مِنْ سُوْۤءٍ ۛ تَوَدُّ لَوْ اَنَّ بَيْنَهَا وَبَيْنَهٗٓ اَمَدًاۢ بَعِيْدًا ۗوَيُحَذِّرُكُمُ اللّٰهُ نَفْسَهٗ ۗوَاللّٰهُ رَءُوْفٌۢ بِالْعِبَادِ ࣖ ( آل عمران: ٣٠ )
Yawma tajidu kullu nafsin ma 'amilat min khayrin muhdaran wama 'amilat min sooin tawaddu law anna baynaha wabaynahu amadan ba'eedan wayuhaththirukumu Allahu nafsahu waAllahu raoofun bial'ibadi (ʾĀl ʿImrān 3:30)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपनी की हुई भलाई और अपनी की हुई बुराई को सामने मौजूद पाएगा, वह कामना करेगा कि काश! उसके और उस दिन के बीच बहुत दूर का फ़ासला होता। और अल्लाह तुम्हें अपना भय दिलाता है, और वह अपने बन्दों के लिए अत्यन्त करुणामय है
English Sahih:
The Day every soul will find what it has done of good present [before it] and what it has done of evil, it will wish that between itself and that [evil] was a great distance. And Allah warns you of Himself, and Allah is Kind to [His] servants." ([3] Ali 'Imran : 30)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(और उस दिन को याद रखो) जिस दिन हर शख्स जो कुछ उसने (दुनिया में) नेकी की है और जो कुछ बुराई की है उसको मौजूद पाएगा (और) आरज़ू करेगा कि काश उस की बदी और उसके दरमियान में ज़मानए दराज़ (हाएल) हो जाता और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा अपने बन्दों पर बड़ा शफ़ीक़ और (मेहरबान भी) है