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وَلَىِٕنْ اَرْسَلْنَا رِيْحًا فَرَاَوْهُ مُصْفَرًّا لَّظَلُّوْا مِنْۢ بَعْدِهٖ يَكْفُرُوْنَ  ( الروم: ٥١ )

But if
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
We sent
أَرْسَلْنَا
भेजें हम
a wind
رِيحًا
हवा को
and they see it
فَرَأَوْهُ
फिर वो देखें उस (खेती) को
turn yellow
مُصْفَرًّا
ज़र्द पड़ी हुई
certainly they continue
لَّظَلُّوا۟
अलबत्ता लगें वो
after it
مِنۢ
बाद इसके
after it
بَعْدِهِۦ
बाद इसके
(in) disbelief
يَكْفُرُونَ
वो नाशुक्री करने

Walain arsalna reehan faraawhu musfarran lathalloo min ba'dihi yakfuroona (ar-Rūm 30:51)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किन्तु यदि हम एक दूसरी हवा भेज दें, जिसके प्रभाव से वे उस (खेती) को पीली पड़ी हुई देखें तो इसके पश्चात वे कुफ़्र करने लग जाएँ

English Sahih:

But if We should send a [bad] wind and they saw [their crops] turned yellow, they would remain thereafter disbelievers. ([30] Ar-Rum : 51)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर हम (खेती की नुकसान देह) हवा भेजें फिर लोग खेती को (उसी हवा की वजह से) ज़र्द (परस मुर्दा) देखें तो वह लोग इसके बाद (फौरन) नाशुक्री करने लगें