وَلَقَدْ اٰتَيْنَا لُقْمٰنَ الْحِكْمَةَ اَنِ اشْكُرْ لِلّٰهِ ۗوَمَنْ يَّشْكُرْ فَاِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ كَفَرَ فَاِنَّ اللّٰهَ غَنِيٌّ حَمِيْدٌ ( لقمان: ١٢ )
Walaqad atayna luqmana alhikmata ani oshkur lillahi waman yashkur fainnama yashkuru linafsihi waman kafara fainna Allaha ghaniyyun hameedun (Luq̈mān 31:12)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
निश्चय ही हमने लुकमान को तत्वदर्शिता प्रदान की थी कि अल्लाह के प्रति कृतज्ञता दिखलाओ और जो कोई कृतज्ञता दिखलाए, वह अपने ही भले के लिए कृतज्ञता दिखलाता है। और जिसने अकृतज्ञता दिखलाई तो अल्लाह वास्तव में निस्पृह, प्रशंसनीय है
English Sahih:
And We had certainly given Luqman wisdom [and said], "Be grateful to Allah." And whoever is grateful is grateful for [the benefit of] himself. And whoever denies [His favor] – then indeed, Allah is Free of need and Praiseworthy. ([31] Luqman : 12)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और यक़ीनन हम ने लुक़मान को हिकमत अता की (और हुक्म दिया था कि) तुम ख़ुदा का शुक्र करो और जो ख़ुदा का शुक्र करेगा-वह अपने ही फायदे के लिए शुक्र करता है और जिसने नाशुक्री की तो (अपना बिगाड़ा) क्योंकी ख़ुदा तो (बहरहाल) बे परवाह (और) क़ाबिल हमदो सना है