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وَاِنْ جَاهَدٰكَ عَلٰٓى اَنْ تُشْرِكَ بِيْ مَا لَيْسَ لَكَ بِهٖ عِلْمٌ فَلَا تُطِعْهُمَا وَصَاحِبْهُمَا فِى الدُّنْيَا مَعْرُوْفًا ۖوَّاتَّبِعْ سَبِيْلَ مَنْ اَنَابَ اِلَيَّۚ ثُمَّ اِلَيَّ مَرْجِعُكُمْ فَاُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ  ( لقمان: ١٥ )

But if
وَإِن
और अगर
they strive against you
جَٰهَدَاكَ
दोनों कोशिश करें तुम्हारे साथ
on
عَلَىٰٓ
इस पर
that
أَن
कि
you associate partners
تُشْرِكَ
तुम शरीक करो
with Me
بِى
मेरे साथ
what
مَا
उसे जो
not
لَيْسَ
नहीं
you have
لَكَ
तुम्हें
of it
بِهِۦ
जिसका
any knowledge
عِلْمٌ
कोई इल्म
then (do) not
فَلَا
तो ना
obey both of them
تُطِعْهُمَاۖ
तुम इताअत करो उन दोनों की
But accompany them
وَصَاحِبْهُمَا
और साथ रहो उन दोनों के
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
(with) kindness
مَعْرُوفًاۖ
भले तरीक़े से
and follow
وَٱتَّبِعْ
और पैरवी करो
(the) path
سَبِيلَ
रास्ते की
(of him) who
مَنْ
उसके जो
turns
أَنَابَ
रुजूअ करे
to Me
إِلَىَّۚ
मेरी तरफ़
Then
ثُمَّ
फिर
towards Me
إِلَىَّ
तरफ़ मेरे ही
(is) your return
مَرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
then I will inform you
فَأُنَبِّئُكُم
फिर मैं बताऊँगा तुम्हें
of what
بِمَا
वो जो
you used (to)
كُنتُمْ
थे तुम
do"
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते

Wain jahadaka 'ala an tushrika bee ma laysa laka bihi 'ilmun fala tuti'huma wasahibhuma fee alddunya ma'roofan waittabi' sabeela man anaba ilayya thumma ilayya marji'ukum faonabbiokum bima kuntum ta'maloona (Luq̈mān 31:15)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।'-

English Sahih:

But if they endeavor to make you associate with Me that of which you have no knowledge, do not obey them but accompany them in [this] world with appropriate kindness and follow the way of those who turn back to Me [in repentance]. Then to Me will be your return, and I will inform you about what you used to do. ([31] Luqman : 15)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर तेरे माँ बाप तुझे इस बात पर मजबूर करें कि तू मेरा शरीक ऐसी चीज़ को क़रार दे जिसका तुझे इल्म भी नहीं तो तू (इसमें) उनकी इताअत न करो (मगर तकलीफ़ न पहुँचाना) और दुनिया (के कामों) में उनका अच्छी तरह साथ दे और उन लोगों के तरीक़े पर चल जो (हर बात में) मेरी (ही) तरफ रुजू करे फिर (तो आख़िर) तुम सबकी रुजू मेरी ही तरफ है तब (दुनिया में) जो कुछ तुम करते थे