Skip to main content

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَيُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَۖ كُلٌّ يَّجْرِيْٓ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّى وَّاَنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ  ( لقمان: ٢٩ )

Do not
أَلَمْ
क्या नहीं
you see
تَرَ
आपने देखा
that
أَنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
causes to enter
يُولِجُ
वो दाख़िल करता है
the night
ٱلَّيْلَ
रात को
into
فِى
दिन में
the day
ٱلنَّهَارِ
दिन में
and causes to enter
وَيُولِجُ
और वो दाख़िल करता है
the day
ٱلنَّهَارَ
दिन को
into
فِى
रात में
the night
ٱلَّيْلِ
रात में
and has subjected
وَسَخَّرَ
और उसने मुसख़्ख़र कर दिया
the sun
ٱلشَّمْسَ
सूरज
and the moon
وَٱلْقَمَرَ
और चाँद को
each
كُلٌّ
हर एक
moving
يَجْرِىٓ
चल रहा है
for
إِلَىٰٓ
एक मुक़र्रर वक़्त तक
a term
أَجَلٍ
एक मुक़र्रर वक़्त तक
appointed
مُّسَمًّى
एक मुक़र्रर वक़्त तक
and that
وَأَنَّ
और बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
of what
بِمَا
उससे जो
you do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
(is) All-Aware
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है

Alam tara anna Allaha yooliju allayla fee alnnahari wayooliju alnnahara fee allayli wasakhkhara alshshamsa waalqamara kullun yajree ila ajalin musamman waanna Allaha bima ta'maloona khabeerun (Luq̈mān 31:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता है। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है? प्रत्येक एक नियत समय तक चला जा रहा है और इसके साथ यह कि जो कुछ भी तुम करते हो, अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है

English Sahih:

Do you not see [i.e., know] that Allah causes the night to enter the day and causes the day to enter the night and has subjected the sun and the moon, each running [its course] for a specified term, and that Allah, of whatever you do, is Aware? ([31] Luqman : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि ख़ुदा ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल कर देता है (तो दिन बढ़ जाता है) उसी ने आफताब व माहताब को (गोया) तुम्हारा ताबेए बना दिया है कि एक मुक़र्रर मीयाद तक (यूँ ही) चलता रहेगा और (क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि) जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफकार है