وَاِذَا غَشِيَهُمْ مَّوْجٌ كَالظُّلَلِ دَعَوُا اللّٰهَ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ ەۚ فَلَمَّا نَجّٰىهُمْ اِلَى الْبَرِّ فَمِنْهُمْ مُّقْتَصِدٌۗ وَمَا يَجْحَدُ بِاٰيٰتِنَآ اِلَّا كُلُّ خَتَّارٍ كَفُوْرٍ ( لقمان: ٣٢ )
Waitha ghashiyahum mawjun kaalththulali da'awoo Allaha mukhliseena lahu alddeena falamma najjahum ila albarri faminhum muqtasidun wama yajhadu biayatina illa kullu khattarin kafoorin (Luq̈mān 31:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जब कोई मौज छाया-छत्रों की तरह उन्हें ढाँक लेती है, तो वे अल्लाह को उसी के लिए अपने निष्ठाभाव के विशुद्ध करते हुए पुकारते है, फिर जब वह उन्हें बचाकर स्थल तक पहुँचा देता है, तो उनमें से कुछ लोग संतुलित मार्ग पर रहते है। (अधिकांश तो पुनः पथभ्रष्ट हो जाते है।) हमारी निशानियों का इनकार तो बस प्रत्येक वह व्यक्ति करता है जो विश्वासघाती, कृतध्न हो
English Sahih:
And when waves come over them like canopies, they supplicate Allah, sincere to Him in religion [i.e., faith]. But when He delivers them to the land, there are [some] of them who are moderate [in faith]. And none rejects Our signs except everyone treacherous and ungrateful. ([31] Luqman : 32)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जब उन्हें मौज (ऊँची होकर) साएबानों की तरह (ऊपर से) ढॉक लेती है तो निरा खुरा उसी का अक़ीदा रखकर ख़ुदा को पुकारने लगते हैं फिर जब ख़ुदा उनको नजात देकर खुश्की तक पहुँचा देता है तो उनमें से बाज़ तो कुछ देर एतदाल पर रहते हैं (और बाज़ पक्के काफिर) और हमारी (क़ुदरत की) निशानियों से इन्कार तो बस बदएहद और नाशुक्रे ही लोग करते हैं