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وَاِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِ اٰيٰتُنَا وَلّٰى مُسْتَكْبِرًا كَاَنْ لَّمْ يَسْمَعْهَا كَاَنَّ فِيْٓ اُذُنَيْهِ وَقْرًاۚ فَبَشِّرْهُ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍ  ( لقمان: ٧ )

And when
وَإِذَا
और जब
are recited
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
to him
عَلَيْهِ
उस पर
Our Verses
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
he turns away
وَلَّىٰ
वो मुँह मोड़ लेता है
arrogantly
مُسْتَكْبِرًا
तकब्बुर करते हुए
as if
كَأَن
गोया कि
not
لَّمْ
नहीं
he (had) heard them
يَسْمَعْهَا
उसने सुना उन्हें
as if
كَأَنَّ
गोया कि
in
فِىٓ
उसके दोनों कानों में
his ears
أُذُنَيْهِ
उसके दोनों कानों में
(is) deafness
وَقْرًاۖ
कोई बोझ है
So give him tidings
فَبَشِّرْهُ
तो ख़ुशख़बरी दे दीजिए उसे
of a punishment
بِعَذَابٍ
अज़ाब
painful
أَلِيمٍ
दर्दनाक की

Waitha tutla 'alayhi ayatuna walla mustakbiran kaan lam yasma'ha kaanna fee othunayhi waqran fabashshirhu bi'athabin aleemin (Luq̈mān 31:7)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती हैं तो वह स्वयं को बड़ा समझता हुआ पीठ फेरकर चल देता है, मानो उसने उन्हें सुना ही नहीं, मानो उसके काम बहरे है। अच्छा तो उसे एक दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो

English Sahih:

And when Our verses are recited to him, he turns away arrogantly as if he had not heard them, as if there was in his ears deafness. So give him tidings of a painful punishment. ([31] Luqman : 7)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे