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قُلْ يَوْمَ الْفَتْحِ لَا يَنْفَعُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِيْمَانُهُمْ وَلَا هُمْ يُنْظَرُوْنَ  ( السجدة: ٢٩ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"(On the) Day
يَوْمَ
दिन
(of) the Decision
ٱلْفَتْحِ
फ़ैसले के
not
لَا
ना नफ़ा देगा
will benefit
يَنفَعُ
ना नफ़ा देगा
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
their belief
إِيمَٰنُهُمْ
ईमान लाना उनका
and not
وَلَا
और ना
they
هُمْ
वो
will be granted respite"
يُنظَرُونَ
वो मोहलत दिए जाऐंगे

Qul yawma alfathi la yanfa'u allatheena kafaroo eemanuhum wala hum yuntharoona (as-Sajdah 32:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो कि 'फ़ैसले के दिन इनकार करनेवालों का ईमान उनके लिए कुछ लाभदायक न होगा और न उन्हें ठील ही दी जाएगी।'

English Sahih:

Say, [O Muhammad], "On the Day of Conquest the belief of those who had disbelieved will not benefit them, nor will they be reprieved." ([32] As-Sajdah : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि फैसले के दिन कुफ्फ़ार को उनका ईमान लाना कुछ काम न आएगा और न उनको (इसकी) मोहलत दी जाएगी