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لَقَدْ كَانَ لِسَبَاٍ فِيْ مَسْكَنِهِمْ اٰيَةٌ ۚجَنَّتٰنِ عَنْ يَّمِيْنٍ وَّشِمَالٍ ەۗ كُلُوْا مِنْ رِّزْقِ رَبِّكُمْ وَاشْكُرُوْا لَهٗ ۗبَلْدَةٌ طَيِّبَةٌ وَّرَبٌّ غَفُوْرٌ  ( سبإ: ١٥ )

Certainly
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
(there) was
كَانَ
थी
for Saba
لِسَبَإٍ
सबा के लिए
in
فِى
उनके घरों में
their dwelling place
مَسْكَنِهِمْ
उनके घरों में
a sign:
ءَايَةٌۖ
एक निशानी
Two gardens
جَنَّتَانِ
दो बाग़
on
عَن
दाऐं तरफ़
(the) right
يَمِينٍ
दाऐं तरफ़
and (on the) left
وَشِمَالٍۖ
और बाऐं तरफ़
"Eat
كُلُوا۟
खाओ
from
مِن
रिज़्क़ में से
(the) provision
رِّزْقِ
रिज़्क़ में से
(of) your Lord
رَبِّكُمْ
अपने रब के
and be grateful
وَٱشْكُرُوا۟
और शुक्र करो
to Him
لَهُۥۚ
उसका
A land
بَلْدَةٌ
शहर है
good
طَيِّبَةٌ
पाकीज़ा
and a Lord
وَرَبٌّ
और रब है
Oft-Forgiving"
غَفُورٌ
ख़ूब बख़्शने वाला

Laqad kana lisabain fee maskanihim ayatun jannatani 'an yameenin washimalin kuloo min rizqi rabbikum waoshkuroo lahu baldatun tayyibatun warabbun ghafoorun (Sabaʾ 34:15)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

सबा के लिए उनके निवास-स्थान ही में एक निशानी थी - दाएँ और बाएँ दो बाग, 'खाओ अपने रब की रोज़ी, और उसके प्रति आभार प्रकट करो। भूमि भी अच्छी-सी और रब भी क्षमाशील।'

English Sahih:

There was for [the tribe of] Saba' in their dwelling place a sign: two [fields of] gardens on the right and on the left. [They were told], "Eat from the provisions of your Lord and be grateful to Him. A good land [have you], and a forgiving Lord." ([34] Saba : 15)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (क़ौम) सबा के लिए तो यक़ीनन ख़ुद उन्हीं के घरों में (कुदरते खुदा की) एक बड़ी निशानी थी कि उनके शहर के दोनों तरफ दाहिने बाएं (हरे-भरे) बाग़ात थे (और उनको हुक्म था) कि अपने परवरदिगार की दी हुई रोज़ी Âाओ (पियो) और उसका शुक्र अदा करो (दुनिया में) ऐसा पाकीज़ा शहर और (आख़ेरत में) परवरदिगार सा बख्शने वाला