Skip to main content

وَكَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۙ وَمَا بَلَغُوْا مِعْشَارَ مَآ اٰتَيْنٰهُمْ فَكَذَّبُوْا رُسُلِيْۗ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيْرِ ࣖ  ( سبإ: ٤٥ )

And denied
وَكَذَّبَ
और झुठलाया
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
(were) before them
مِن
उनसे पहले थे
(were) before them
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
and not
وَمَا
और नहीं
they have attained
بَلَغُوا۟
वो पहुँचे
a tenth
مِعْشَارَ
दसवें हिस्से को(भी)
(of) what
مَآ
जो
We (had) given them
ءَاتَيْنَٰهُمْ
दिया था हमने उन्हें
But they denied
فَكَذَّبُوا۟
तो उन्होंने झुठलाया था
My Messengers
رُسُلِىۖ
मेरे रसूलों को
so how
فَكَيْفَ
तो कैसा
was
كَانَ
था
My rejection?
نَكِيرِ
अज़ाब मेरा

Wakaththaba allatheena min qablihim wama balaghoo mi'shara ma ataynahum fakaththaboo rusulee fakayfa kana nakeeri (Sabaʾ 34:45)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और झूठलाया उन लोगों ने भी जो उनसे पहले थे। और जो कुछ हमने उन्हें दिया था ये तो उसके दसवें भाग को भी नहीं पहुँचे है। तो उन्होंने मेरे रसूलों को झुठलाया। तो फिर कैसी रही मेरी यातना!

English Sahih:

And those before them denied, and they [i.e., the people of Makkah] have not attained a tenth of what We had given them. But they [i.e., the former peoples] denied My messengers, so how [terrible] was My reproach. ([34] Saba : 45)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था हालॉकि हमने जितना उन लोगों को दिया था ये लोग (अभी) उसके दसवें हिस्सा को (भी) नहीं पहुँचे उस पर उन लोगों न मेरे (पैग़म्बरों को) झुठलाया था तो तुमने देखा कि मेरा (अज़ाब उन पर) कैसा सख्त हुआ