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قُلْ مَا سَاَلْتُكُمْ مِّنْ اَجْرٍ فَهُوَ لَكُمْۗ اِنْ اَجْرِيَ اِلَّا عَلَى اللّٰهِ ۚوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدٌ   ( سبإ: ٤٧ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Not
مَا
जो भी
I ask you
سَأَلْتُكُم
माँगा है मैं ने तुमसे
for
مِّنْ
कोई अजर
any payment
أَجْرٍ
कोई अजर
but it (is)
فَهُوَ
तो वो
for you
لَكُمْۖ
तुम्हारे लिए है
Not
إِنْ
नहीं
(is) my payment
أَجْرِىَ
अजर मेरा
but
إِلَّا
मगर
from
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِۖ
अल्लाह पर
And He
وَهُوَ
और वो
(is) over
عَلَىٰ
ऊपर
all
كُلِّ
हर
things
شَىْءٍ
चीज़ के
a Witness"
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है

Qul ma saaltukum min ajrin fahuwa lakum in ajriya illa 'ala Allahi wahuwa 'ala kulli shayin shaheedun (Sabaʾ 34:47)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'मैं तुमसे कोई बदला नहीं माँगता वह तुम्हें ही मुबारक हो। मेरा बदला तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है और वह हर चीज का साक्षी है।'

English Sahih:

Say, "Whatever payment I might have asked of you – it is yours. My payment is only from Allah, and He is, over all things, Witness." ([34] Saba : 47)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम (ये भी) कह दो कि (तबलीख़े रिसालत की) मैंने तुमसे कुछ उजरत माँगी हो तो वह तुम्हीं को (मुबारक) हो मेरी उजरत तो बस खुदा पर है और वही (तुम्हारे आमाल अफआल) हर चीज़ से खूब वाक़िफ है