قُلْ اَرَاَيْتُمْ شُرَكَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗاَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقُوْا مِنَ الْاَرْضِ اَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِى السَّمٰوٰتِۚ اَمْ اٰتَيْنٰهُمْ كِتٰبًا فَهُمْ عَلٰى بَيِّنَتٍ مِّنْهُۚ بَلْ اِنْ يَّعِدُ الظّٰلِمُوْنَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا اِلَّا غُرُوْرًا ( فاطر: ٤٠ )
Qul araaytum shurakaakumu allatheena tad'oona min dooni Allahi aroonee matha khalaqoo mina alardi am lahum shirkun fee alssamawati am ataynahum kitaban fahum 'ala bayyinatin minhu bal in ya'idu alththalimoona ba'duhum ba'dan illa ghurooran (Fāṭir 35:40)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या तुमने अपने ठहराए हुए साझीदारो का अवलोकन भी किया, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई भागीदारी है?' या हमने उन्हें कोई किताब ही है कि उसका कोई स्पष्ट प्रमाण उनके पक्ष में हो? नहीं, बल्कि वे ज़ालिम आपस में एक-दूसरे से केवल धोखे का वादा कर रहे है
English Sahih:
Say, "Have you considered your 'partners' whom you invoke besides Allah? Show me what they have created from the earth, or have they partnership [with Him] in the heavens? Or have We given them a book so they are [standing] on evidence therefrom? [No], rather, the wrongdoers do not promise each other except delusion." ([35] Fatir : 40)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम (उनसे) पूछो तो कि खुदा के सिवा अपने जिन शरीकों की तुम क़यादत करते थे क्या तुमने उन्हें (कुछ) देखा भी मुझे भी ज़रा दिखाओ तो कि उन्होंने ज़मीन (की चीज़ों) से कौन सी चीज़ पैदा की या आसमानों में कुछ उनका आधा साझा है या हमने खुद उन्हें कोई किताब दी है कि वह उसकी दलील रखते हैं (ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि ये ज़ालिम एक दूसरे से (धोखे और) फरेब ही का वायदा करते हैं