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۞ قُلْ يٰعِبَادِيَ الَّذِيْنَ اَسْرَفُوْا عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوْا مِنْ رَّحْمَةِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ يَغْفِرُ الذُّنُوْبَ جَمِيْعًا ۗاِنَّهٗ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِيْمُ  ( الزمر: ٥٣ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"O My slaves!
يَٰعِبَادِىَ
ऐ मेरे बन्दो
Those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
have transgressed
أَسْرَفُوا۟
ज़्यादती की
against
عَلَىٰٓ
अपने नफ़्सों पर
themselves
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों पर
(do) not
لَا
ना तुम मायूस हो
despair
تَقْنَطُوا۟
ना तुम मायूस हो
of
مِن
रहमत से
(the) Mercy
رَّحْمَةِ
रहमत से
(of) Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
forgives
يَغْفِرُ
वो बख़्श देता है
the sins
ٱلذُّنُوبَ
गुनाहों को
all
جَمِيعًاۚ
सब के सब को
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
He
هُوَ
वो ही है
(is) the Oft-Forgiving
ٱلْغَفُورُ
बहुत बख़्शने वाला
the Most Merciful
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला

Qul ya 'ibadiya allatheena asrafoo 'ala anfusihim la taqnatoo min rahmati Allahi inna Allaha yaghfiru alththunooba jamee'an innahu huwa alghafooru alrraheemu (az-Zumar 39:53)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'ऐ मेरे बन्दो, जिन्होंने अपने आप पर ज्यादती की है, अल्लाह की दयालुता से निराश न हो। निस्संदेह अल्लाह सारे ही गुनाहों का क्षमा कर देता है। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है

English Sahih:

Say, "O My servants who have transgressed against themselves [by sinning], do not despair of the mercy of Allah. Indeed, Allah forgives all sins. Indeed, it is He who is the Forgiving, the Merciful." ([39] Az-Zumar : 53)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे (ईमानदार) बन्दों जिन्होने (गुनाह करके) अपनी जानों पर ज्यादतियाँ की हैं तुम लोग ख़ुदा की रहमत से नाउम्मीद न होना बेशक ख़ुदा (तुम्हारे) कुल गुनाहों को बख्श देगा वह बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है