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وَاَنِيْبُوْٓا اِلٰى رَبِّكُمْ وَاَسْلِمُوْا لَهٗ مِنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَكُمُ الْعَذَابُ ثُمَّ لَا تُنْصَرُوْنَ  ( الزمر: ٥٤ )

And turn
وَأَنِيبُوٓا۟
और रुजूअ करो
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
your Lord
رَبِّكُمْ
तरफ़ अपने रब के
and submit
وَأَسْلِمُوا۟
और फ़रमाबरदार बन जाओ
to Him
لَهُۥ
उसके लिए
before
مِن
इससे पहले
before
قَبْلِ
इससे पहले
[that]
أَن
कि
comes to you
يَأْتِيَكُمُ
आ जाए तुम्हारे पास
the punishment
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
then
ثُمَّ
फिर
not
لَا
ना तुम मदद किए जाओ
you will be helped
تُنصَرُونَ
ना तुम मदद किए जाओ

Waaneeboo ila rabbikum waaslimoo lahu min qabli an yatiyakumu al'athabu thumma la tunsaroona (az-Zumar 39:54)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रुजू हो अपने रब की ओर और उसके आज्ञाकारी बन जाओ, इससे पहले कि तुमपर यातना आ जाए। फिर तुम्हारी सहायता न की जाएगी

English Sahih:

And return [in repentance] to your Lord and submit to Him before the punishment comes upon you; then you will not be helped. ([39] Az-Zumar : 54)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अपने परवरदिगार की तरफ रूजू करो और उसी के फरमाबरदार बन जाओ (मगर) उस वक्त क़े क़ब्ल ही कि तुम पर जब अज़ाब आ नाज़िल हो (और) फिर तुम्हारी मदद न की जा सके