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وَاِذَا مَسَّ الْاِنْسَانَ ضُرٌّ دَعَا رَبَّهٗ مُنِيْبًا اِلَيْهِ ثُمَّ اِذَا خَوَّلَهٗ نِعْمَةً مِّنْهُ نَسِيَ مَا كَانَ يَدْعُوْٓا اِلَيْهِ مِنْ قَبْلُ وَجَعَلَ لِلّٰهِ اَنْدَادًا لِّيُضِلَّ عَنْ سَبِيْلِهٖ ۗ قُلْ تَمَتَّعْ بِكُفْرِكَ قَلِيْلًا ۖاِنَّكَ مِنْ اَصْحٰبِ النَّارِ  ( الزمر: ٨ )

And when
وَإِذَا
और जब
touches
مَسَّ
पहुँचती है
[the] man
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
adversity
ضُرٌّ
कोई तक्लीफ़
he calls
دَعَا
वो पुकारता है
(to) his Lord
رَبَّهُۥ
अपने रब को
turning
مُنِيبًا
रुजूअ करते हुए
to Him
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
then
ثُمَّ
फिर
when
إِذَا
जब
He bestows on him
خَوَّلَهُۥ
वो अता कर देता है उसे
a favor
نِعْمَةً
कोई नेअमत
from Himself
مِّنْهُ
अपने पास से
he forgets
نَسِىَ
वो भूल जाता है
(for) what
مَا
उसे जो
he used to call
كَانَ
था वो
he used to call
يَدْعُوٓا۟
वो पुकारता
[to] Him
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
before
مِن
उससे पहले
before
قَبْلُ
उससे पहले
and he sets up
وَجَعَلَ
और वो बना देता है
to Allah
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
rivals
أَندَادًا
कुछ शरीक
to mislead
لِّيُضِلَّ
ताकि वो भटका दे
from
عَن
उसके रास्ते से
His Path
سَبِيلِهِۦۚ
उसके रास्ते से
Say
قُلْ
कह दीजिए
"Enjoy
تَمَتَّعْ
फ़ायदा उठा ले
in your disbelief
بِكُفْرِكَ
साथ अपने कुफ़्र के
(for) a little
قَلِيلًاۖ
थोड़ा सा
Indeed, you
إِنَّكَ
बेशक तू
(are) of
مِنْ
आग वालों में से है
(the) companions
أَصْحَٰبِ
आग वालों में से है
(of) the Fire"
ٱلنَّارِ
आग वालों में से है

Waitha massa alinsana durrun da'a rabbahu muneeban ilayhi thumma itha khawwalahu ni'matan minhu nasiya ma kana yad'oo ilayhi min qablu waja'ala lillahi andadan liyudilla 'an sabeelihi qul tamatta' bikufrika qaleelan innaka min ashabi alnnari (az-Zumar 39:8)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह अपने रब को उसी की ओर रुजू होकर पुकारने लगता है, फिर जब वह उसपर अपनी अनुकम्पा करता है, तो वह उस चीज़ को भूल जाता है जिसके लिए पहले पुकार रहा था और (दूसरो को) अल्लाह के समकक्ष ठहराने लगता है, ताकि इसके परिणामस्वरूप वह उसकी राह से भटका दे। कह दो, 'अपने इनकार का थोड़ा मज़ा ले लो। निस्संदेह तुम आगवालों में से हो।'

English Sahih:

And when adversity touches man, he calls upon his Lord, turning to Him [alone]; then when He bestows on him a favor from Himself, he forgets Him whom he called upon before, and he attributes to Allah equals to mislead [people] from His way. Say, "Enjoy your disbelief for a little; indeed, you are of the companions of the Fire." ([39] Az-Zumar : 8)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और आदमी (की हालत तो ये है कि) जब उसको कोई तकलीफ पहुँचती है तो उसी की तरफ रूजू करके अपने परवरदिगार से दुआ करता है (मगर) फिर जब खुदा अपनी तरफ से उसे नेअमत अता फ़रमा देता है तो जिस काम के लिए पहले उससे दुआ करता था उसे भुला देता है और बल्कि खुदा का शरीक बनाने लगता है ताकि (उस ज़रिए से और लोगों को भी) उसकी राह से गुमराह कर दे (ऐ रसूल ऐसे शख्स से) कह दो कि थोड़े दिनों और अपने कुफ्र (की हालत) में चैन कर लो