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۞ لَا يُحِبُّ اللّٰهُ الْجَهْرَ بِالسُّوْۤءِ مِنَ الْقَوْلِ اِلَّا مَنْ ظُلِمَ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ سَمِيْعًا عَلِيْمًا   ( النساء: ١٤٨ )

(Does) not
لَّا
नहीं पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं पसंद करता
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
the public mention
ٱلْجَهْرَ
आवाज़ बुलन्द करना
of [the] evil
بِٱلسُّوٓءِ
साथ बुरी
[of]
مِنَ
बात के
[the] words
ٱلْقَوْلِ
बात के
except
إِلَّا
मगर
(by the one) who
مَن
जिस पर
has been wronged
ظُلِمَۚ
ज़ुल्म किया गया हो
And is
وَكَانَ
और है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
All-Hearing
سَمِيعًا
ख़ूब सुनने वाला
All-Knowing
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला

La yuhibbu Allahu aljahra bialssooi mina alqawli illa man thulima wakana Allahu samee'an 'aleeman (an-Nisāʾ 4:148)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह बुरी बात खुल्लम-खुल्ला कहने को पसन्द नहीं करता, मगर उसकी बात और है जिसपर ज़ुल्म किया गया हो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है

English Sahih:

Allah does not like the public mention of evil except by one who has been wronged. And ever is Allah Hearing and Knowing. ([4] An-Nisa : 148)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा (किसी को) हॉक पुकार कर बुरा कहने को पसन्द नहीं करता मगर मज़लूम (ज़ालिम की बुराई बयान कर सकता है) और ख़ुदा तो (सबकी) सुनता है (और हर एक को) जानता है