मसीह ने कदापि अपने लिए बुरा नहीं समझा कि वह अल्लाह का बन्दा हो और न निकटवर्ती फ़रिश्तों ने ही (इसे बुरा समझा) । और जो कोई अल्लाह की बन्दगी को अपने लिए बुरा समझेगा और घमंड करेगा, तो वह (अल्लाह) उन सभी लोगों को अपने पास इकट्ठा करके रहेगा
English Sahih:
Never would the Messiah disdain to be a servant of Allah, nor would the angels near [to Him]. And whoever disdains His worship and is arrogant – He will gather them to Himself all together. ([4] An-Nisa : 172)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
न तो मसीह ही ख़ुदा का बन्दा होने से हरगिज़ इन्कार कर सकते हैं और न (ख़ुदा के) मुक़र्रर फ़रिश्ते और (याद रहे) जो शख्स उसके बन्दा होने से इन्कार करेगा और शेख़ी करेगा तो अनक़रीब ही ख़ुदा उन सबको अपनी तरफ़ उठा लेगा (और हर एक को उसके काम की सज़ा देगा)
2 Azizul-Haqq Al-Umary
मसीह़ कदापि अल्लाह का दास होने को अपमान नहीं समझता और न (अल्लाह के) समीपवर्ती फ़रिश्ते। जो व्यक्ति उसकी (वंदना को) अपमान समझेगा तथा अभिमान करेगा, तो उन सभी को वह अपने पास एकत्र करेगा।