يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَأْكُلُوْٓا اَمْوَالَكُمْ بَيْنَكُمْ بِالْبَاطِلِ اِلَّآ اَنْ تَكُوْنَ تِجَارَةً عَنْ تَرَاضٍ مِّنْكُمْ ۗ وَلَا تَقْتُلُوْٓا اَنْفُسَكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُمْ رَحِيْمًا ( النساء: ٢٩ )
Ya ayyuha allatheena amanoo la takuloo amwalakum baynakum bialbatili illa an takoona tijaratan 'an taradin minkum wala taqtuloo anfusakum inna Allaha kana bikum raheeman (an-Nisāʾ 4:29)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! आपस में एक-दूसरे के माल ग़लत तरीक़े से न खाओ - यह और बात है कि तुम्हारी आपस में रज़ामन्दी से कोई सौदा हो - और न अपनों की हत्या करो। निस्संदेह अल्लाह तुमपर बहुत दयावान है
English Sahih:
O you who have believed, do not consume one another's wealth unjustly but only [in lawful] business by mutual consent. And do not kill yourselves [or one another]. Indeed, Allah is to you ever Merciful. ([4] An-Nisa : 29)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ए ईमानवालों आपस में एक दूसरे का माल नाहक़ न खा जाया करो लेकिन (हॉ) तुम लोगों की बाहमी रज़ामन्दी से तिजारत हो (और उसमें एक दूसरे का माल हो तो मुज़ाएक़ा नहीं) और अपना गला आप घूंट के अपनी जान न दो (क्योंकि) ख़ुदा तो ज़रूर तुम्हारे हाल पर मेहरबान है