Skip to main content

اِنَّ اللّٰهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ ۚوَاِنْ تَكُ حَسَنَةً يُّضٰعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَّدُنْهُ اَجْرًا عَظِيْمًا  ( النساء: ٤٠ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो ज़ुल्म करता
wrong
يَظْلِمُ
नहीं वो ज़ुल्म करता
(as much as) weight
مِثْقَالَ
बराबर
(of) an atom
ذَرَّةٍۖ
ज़र्रे के
And if
وَإِن
और अगर
there is
تَكُ
हो
a good
حَسَنَةً
एक नेकी
He doubles it
يُضَٰعِفْهَا
वो दोगुना कर देगा उसे
and gives
وَيُؤْتِ
और वो देगा
from
مِن
अपने पास से
near Him
لَّدُنْهُ
अपने पास से
a reward
أَجْرًا
अजर
great
عَظِيمًا
बड़ा

Inna Allaha la yathlimu mithqala tharratin wain taku hasanatan yuda'ifha wayuti min ladunhu ajran 'atheeman (an-Nisāʾ 4:40)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा

English Sahih:

Indeed, Allah does not do injustice, [even] as much as an atom's weight; while if there is a good deed, He multiplies it and gives from Himself a great reward. ([4] An-Nisa : 40)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा तो हरगिज़ ज़र्रा बराबर भी ज़ुल्म नहीं करता बल्कि अगर ज़र्रा बराबर भी किसी की कोई नेकी हो तो उसको दूना करता है और अपनी तरफ़ से बड़ा सवाब अता फ़रमाता है