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مِثْلَ دَأْبِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ وَالَّذِيْنَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗوَمَا اللّٰهُ يُرِيْدُ ظُلْمًا لِّلْعِبَادِ  ( غافر: ٣١ )

Like
مِثْلَ
मानिन्द
(the) plight
دَأْبِ
हालत
(of the) people
قَوْمِ
क़ौमे
(of) Nuh
نُوحٍ
नूह
and Aad
وَعَادٍ
और आद
and Thamud
وَثَمُودَ
और समूद
and those
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
after them
مِنۢ
बाद थे उनके
after them
بَعْدِهِمْۚ
बाद थे उनके
And Allah (does) not
وَمَا
और नहीं
And Allah (does) not
ٱللَّهُ
अल्लाह
want
يُرِيدُ
वो इरादा रखता
injustice
ظُلْمًا
ज़ुल्म का
for (His) slaves
لِّلْعِبَادِ
बन्दों पर

Mithla dabi qawmi noohin wa'adin wathamooda waallatheena min ba'dihim wama Allahu yureedu thulman lil'ibadi (Ghāfir 40:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जैसे नूह की क़ौम और आद और समूद और उनके पश्चात्वर्ती लोगों का हाल हुआ। अल्लाह तो ऐसा नहीं कि बन्दों पर कोई ज़ुल्म करना चाहे

English Sahih:

Like the custom of the people of Noah and of Aad and Thamud and those after them. And Allah wants no injustice for [His] servants. ([40] Ghafir : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(कहीं तुम्हारा भी वही हाल न हो) जैसा कि नूह की क़ौम और आद समूद और उनके बाद वाले लोगों का हाल हुआ और ख़ुदा तो बन्दों पर ज़ुल्म करना चाहता ही नहीं