كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَّالْاَحْزَابُ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۖوَهَمَّتْ كُلُّ اُمَّةٍۢ بِرَسُوْلِهِمْ لِيَأْخُذُوْهُ وَجَادَلُوْا بِالْبَاطِلِ لِيُدْحِضُوا بِهِ الْحَقَّ فَاَخَذْتُهُمْ ۗفَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ( غافر: ٥ )
Kaththabat qablahum qawmu noohin waalahzabu min ba'dihim wahammat kullu ommatin birasoolihim liyakhuthoohu wajadaloo bialbatili liyudhidoo bihi alhaqqa faakhathtuhum fakayfa kana 'iqabi (Ghāfir 40:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनसे पहले नूह की क़ौम ने और उनके पश्चात दूसरों गिरोहों ने भी झुठलाया और हर समुदाय के लोगों ने अपने रसूलों के बारे में इरादा किया कि उन्हें पकड़ लें और वे सत्य का सहारा लेकर झगडे, ताकि उसके द्वारा सत्य को उखाड़ दें। अन्ततः मैंने उन्हें पकड़ लिया। तौ कैसी रही मेरी सज़ा!
English Sahih:
The people of Noah denied before them and the [disbelieving] factions after them, and every nation intended [a plot] for their messenger to seize him, and they disputed by [using] falsehood to [attempt to] invalidate thereby the truth. So I seized them, and how [terrible] was My penalty. ([40] Ghafir : 5)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तुम्हें इस धोखे में न डाले (कि उन पर आज़ाब न होगा) इन के पहले नूह की क़ौम ने और उन के बाद और उम्मतों ने (अपने पैग़म्बरों को) झुठलाया और हर उम्मत ने अपने पैग़म्बरों के बारे में यही ठान लिया कि उन्हें गिरफ्तार कर (के क़त्ल कर डालें) और बेहूदा बातों की आड़ पकड़ कर लड़ने लगें - ताकि उसके ज़रिए से हक़ बात को उखाड़ फेंकें तो मैंने, उन्हें गिरफ्तार कर लिया फिर देखा कि उन पर (मेरा अज़ाब कैसा (सख्त हुआ)