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فَلَمْ يَكُ يَنْفَعُهُمْ اِيْمَانُهُمْ لَمَّا رَاَوْا بَأْسَنَا ۗسُنَّتَ اللّٰهِ الَّتِيْ قَدْ خَلَتْ فِيْ عِبَادِهِۚ وَخَسِرَ هُنَالِكَ الْكٰفِرُوْنَ ࣖ   ( غافر: ٨٥ )

But did not
فَلَمْ
पस ना
But did not
يَكُ
था
benefit them
يَنفَعُهُمْ
कि नफ़ा देता उन्हें
their faith
إِيمَٰنُهُمْ
ईमान उनका
when
لَمَّا
जब
they saw
رَأَوْا۟
उन्होंने देखा
Our punishment
بَأْسَنَاۖ
अज़ाब हमारा
(Such is the) Way
سُنَّتَ
तरीक़ा है
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
which
ٱلَّتِى
वो जो
(has) indeed
قَدْ
तहक़ीक़
preceded
خَلَتْ
गुज़र चुका
among
فِى
उसके बन्दों में
His slaves
عِبَادِهِۦۖ
उसके बन्दों में
And are lost
وَخَسِرَ
और ख़सारे में पड़ गए
there
هُنَالِكَ
उस वक़्त
the disbelievers
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िर

Falam yaku yanfa'uhum eemanuhum lamma raaw basana sunnata Allahi allatee qad khalat fee 'ibadihi wakhasira hunalika alkafiroona (Ghāfir 40:85)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

किन्तु उनका ईमान उनको कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा सकता था जबकि उन्होंने हमारी यातना को देख लिया - यही अल्लाह की रीति है, जो उसके बन्दों में पहले से चली आई है - और उस समय इनकार करनेवाले घाटे में पड़कर रहे

English Sahih:

But never did their faith benefit them once they saw Our punishment. [It is] the established way of Allah which has preceded among His servants. And the disbelievers thereupon lost [all]. ([40] Ghafir : 85)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो जब उन लोगों ने हमारा (अज़ाब) आते देख लिया तो अब उनका ईमान लाना कुछ भी फायदेमन्द नहीं हो सकता (ये) ख़ुदा की आदत (है) जो अपने बन्दों के बारे में (सदा से) चली आती है और काफ़िर लोग इस वक्त घाटे मे रहे