۞ وَقَيَّضْنَا لَهُمْ قُرَنَاۤءَ فَزَيَّنُوْا لَهُمْ مَّا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْقَوْلُ فِيْٓ اُمَمٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِۚ اِنَّهُمْ كَانُوْا خٰسِرِيْنَ ࣖ ( فصلت: ٢٥ )
Waqayyadna lahum quranaa fazayyanoo lahum ma bayna aydeehim wama khalfahum wahaqqa 'alayhimu alqawlu fee omamin qad khalat min qablihim mina aljinni waalinsi innahum kanoo khasireena (Fuṣṣilat 41:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमने उनके लिए कुछ साथी नियुक्त कर दिए थे। फिर उन्होंने उनके आगे और उनके पीछे जो कुछ था उसे सुहाना बनाकर उन्हें दिखाया। अन्ततः उनपर भी जिन्नों और मनुष्यों के उन गिरोहों के साथ फ़ैसला सत्यापित होकर रहा, जो उनसे पहले गुज़र चुके थे। निश्चय ही वे घाटा उठानेवाले थे
English Sahih:
And We appointed for them companions who made attractive to them what was before them and what was behind them [of sin], and the word [i.e., decree] has come into effect upon them among nations which had passed on before them of jinn and men. Indeed, they [all] were losers. ([41] Fussilat : 25)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमने (गोया ख़ुद शैतान को) उनका हमनशीन मुक़र्रर कर दिया था तो उन्होने उनके अगले पिछले तमाम उमूर उनकी नज़रों में भले कर दिखाए तो जिन्नात और इन्सानो की उम्मतें जो उनसे पहले गुज़र चुकी थीं उनके शुमूल (साथ) में (अज़ाब का) वायदा उनके हक़ में भी पूरा हो कर रहा बेशक ये लोग अपने घाटे के दरपै थे