وَمَآ اَصَابَكُمْ مِّنْ مُّصِيْبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ اَيْدِيْكُمْ وَيَعْفُوْا عَنْ كَثِيْرٍۗ ( الشورى: ٣٠ )
And whatever
وَمَآ
और जो भी
befalls you
أَصَٰبَكُم
पहुँची तुम्हें
of
مِّن
कोई मुसीबत
(the) misfortune
مُّصِيبَةٍ
कोई मुसीबत
(is because) of what
فَبِمَا
पस बवजह उसके जो
have earned
كَسَبَتْ
कमाई की
your hands
أَيْدِيكُمْ
तुम्हारे हाथों ने
But He pardons
وَيَعْفُوا۟
और वो दरगुज़र करता है
[from]
عَن
बहुत कुछ से
much
كَثِيرٍ
बहुत कुछ से
Wama asabakum min museebatin fabima kasabat aydeekum waya'foo 'an katheerin (aš-Šūrā 42:30)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो मुसीबत तुम्हें पहुँची वह तो तुम्हारे अपने हाथों की कमाई से पहुँची और बहुत कुछ तो वह माफ़ कर देता है
English Sahih:
And whatever strikes you of disaster – it is for what your hands have earned; but He pardons much. ([42] Ash-Shuraa : 30)