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اِنْ يَّشَأْ يُسْكِنِ الرِّيْحَ فَيَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلٰى ظَهْرِهٖۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍۙ  ( الشورى: ٣٣ )

If
إِن
अगर
He wills
يَشَأْ
वो चाहे
He can cause the wind to become still
يُسْكِنِ
वो साकिन कर दे
He can cause the wind to become still
ٱلرِّيحَ
हवा को
then they would remain
فَيَظْلَلْنَ
तो वो रह जाऐं
motionless
رَوَاكِدَ
खड़ी हुई
on
عَلَىٰ
उसकी पुश्त पर
its back
ظَهْرِهِۦٓۚ
उसकी पुश्त पर
Indeed
إِنَّ
यक़ीनन
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely (are) Signs
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
for everyone
لِّكُلِّ
वास्ते हर
patient
صَبَّارٍ
बहुत सब्र करने वाले
(and) grateful
شَكُورٍ
बहुत शुक्र गुज़ार के

In yasha yuskini alrreeha fayathlalna rawakida 'ala thahrihi inna fee thalika laayatin likulli sabbarin shakoorin (aš-Šūrā 42:33)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि वह चाहे तो वायु को ठहरा दे, तो वे समुद्र की पीठ पर ठहरे रह जाएँ - निश्चय ही इसमें कितनी ही निशानियाँ है हर उस व्यक्ति के लिए जो अत्यन्त धैर्यवान, कृतज्ञ हो

English Sahih:

If He willed, He could still the wind, and they would remain motionless on its surface. Indeed in that are signs for everyone patient and grateful. ([42] Ash-Shuraa : 33)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

अगर ख़ुदा चाहे तो हवा को ठहरा दे तो जहाज़ भी समन्दर की सतह पर (खड़े के खड़े) रह जाएँ बेशक तमाम सब्र और शुक्र करने वालों के वास्ते इन बातों में (ख़ुदा की क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं