اَهُمْ يَقْسِمُوْنَ رَحْمَتَ رَبِّكَۗ نَحْنُ قَسَمْنَا بَيْنَهُمْ مَّعِيْشَتَهُمْ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَاۙ وَرَفَعْنَا بَعْضَهُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجٰتٍ لِّيَتَّخِذَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا سُخْرِيًّا ۗوَرَحْمَتُ رَبِّكَ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُوْنَ ( الزخرف: ٣٢ )
Ahum yaqsimoona rahmata rabbika nahnu qasamna baynahum ma'eeshatahum fee alhayati alddunya warafa'na ba'dahum fawqa ba'din darajatin liyattakhitha ba'duhum ba'dan sukhriyyan warahmatu rabbika khayrun mimma yajma'oona (az-Zukhruf 43:32)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
क्या वे तुम्हारे रब की दयालुता को बाँटते है? सांसारिक जीवन में उनके जीवन-यापन के साधन हमने उनके बीच बाँटे है और हमने उनमें से कुछ लोगों को दूसरे कुछ लोगों से श्रेणियों की दृष्टि से उच्च रखा है, ताकि उनमें से वे एक-दूसरे से काम लें। और तुम्हारे रब की दयालुता उससे कहीं उत्तम है जिसे वे समेट रहे है
English Sahih:
Do they distribute the mercy of your Lord? It is We who have apportioned among them their livelihood in the life of this world and have raised some of them above others in degrees [of rank] that they may make use of one another for service. But the mercy of your Lord is better than whatever they accumulate. ([43] Az-Zukhruf : 32)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है