وَاِذْ اَوْحَيْتُ اِلَى الْحَوَارِيّٖنَ اَنْ اٰمِنُوْا بِيْ وَبِرَسُوْلِيْ ۚ قَالُوْٓا اٰمَنَّا وَاشْهَدْ بِاَنَّنَا مُسْلِمُوْنَ ( المائدة: ١١١ )
And when
وَإِذْ
और जब
I inspired
أَوْحَيْتُ
वही की मैंने
to
إِلَى
तरफ़ हवारियों के
the disciples
ٱلْحَوَارِيِّۦنَ
तरफ़ हवारियों के
to
أَنْ
ये कि
believe
ءَامِنُوا۟
ईमान लाओ
in Me
بِى
मुझ पर
and in My Messenger
وَبِرَسُولِى
और मेरे रसूल पर
they said
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
"We believe
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
and bear witness
وَٱشْهَدْ
और गवाह रह
that indeed we
بِأَنَّنَا
बेशक हम
(are) Muslims
مُسْلِمُونَ
मुसलमान हैं
Waith awhaytu ila alhawariyyeena an aminoo bee wabirasoolee qaloo amanna waishhad biannana muslimoona (al-Māʾidah 5:111)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो, जब मैंने हबारियों (साथियों और शागिर्दों) के दिल में डाला कि 'मुझपर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ,' तो उन्होंने कहा, 'हम ईमान लाए और तुम गवाह रहो कि हम मुस्लिम है।'
English Sahih:
And [remember] when I inspired to the disciples, "Believe in Me and in My messenger [i.e., Jesus]." They said, "We have believed, so bear witness that indeed we are Muslims [in submission to Allah]." ([5] Al-Ma'idah : 111)