Skip to main content

فَالْيَوْمَ لَا يُؤْخَذُ مِنْكُمْ فِدْيَةٌ وَّلَا مِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ مَأْوٰىكُمُ النَّارُۗ هِيَ مَوْلٰىكُمْۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ   ( الحديد: ١٥ )

So today
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
not
لَا
ना लिया जाएगा
will be accepted
يُؤْخَذُ
ना लिया जाएगा
from you
مِنكُمْ
तुमसे
any ransom
فِدْيَةٌ
कोई फ़िदया
and not
وَلَا
और ना
from
مِنَ
उनसे जिन्होंने
those who
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟ۚ
कुफ़्र किया
Your abode
مَأْوَىٰكُمُ
ठिकाना तुम्हारा
(is) the Fire;
ٱلنَّارُۖ
आग है
it (is)
هِىَ
वो ही
your protector
مَوْلَىٰكُمْۖ
दोस्त है तुम्हारी
and wretched is
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
the destination
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह

Faalyawma la yukhathu minkum fidyatun wala mina allatheena kafaroo mawakumu alnnaru hiya mawlakum wabisa almaseeru (al-Ḥadīd 57:15)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'अब आज न तुमसे कोई फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) लिया जाएगा और न उन लोगों से जिन्होंने इनकार किया। तुम्हारा ठिकाना आग है, और वही तुम्हारी संरक्षिका है। और बहुत ही बुरी जगह है अन्त में पहुँचने की!'

English Sahih:

So today no ransom will be taken from you or from those who disbelieved. Your refuge is the Fire. It is most worthy of you, and wretched is the destination." ([57] Al-Hadid : 15)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो आज न तो तुमसे कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न काफ़िरों से तुम सबका ठिकाना (बस) जहन्नुम है वही तुम्हारे वास्ते सज़ावार है और (क्या) बुरी जगह है