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اِنَّ الْمُصَّدِّقِيْنَ وَالْمُصَّدِّقٰتِ وَاَقْرَضُوا اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا يُّضٰعَفُ لَهُمْ وَلَهُمْ اَجْرٌ كَرِيْمٌ   ( الحديد: ١٨ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
the men who give charity
ٱلْمُصَّدِّقِينَ
सदक़ा करने वाले मर्द
and the women who give charity
وَٱلْمُصَّدِّقَٰتِ
और सदक़ा करने वाली औरतें
and who lend
وَأَقْرَضُوا۟
और जिन्होंने क़र्ज़ दिया
(to) Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह को
a loan
قَرْضًا
क़र्ज़
goodly
حَسَنًا
अच्छा
it will be multiplied
يُضَٰعَفُ
दोगुना कर दिया जाएगा
for them
لَهُمْ
उनके लिए
and for them
وَلَهُمْ
और उन्हीं के लिए है
(is) a reward
أَجْرٌ
अजर
noble
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला

Inna almussaddiqeena waalmussaddiqati waaqradoo Allaha qardan hasanan yuda'afu lahum walahum ajrun kareemun (al-Ḥadīd 57:18)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही जो सदका देनेवाले पुरुष और सदका देनेवाली स्त्रियाँ है और उन्होंने अल्लाह को अच्छा ऋण दिया, उसे उसके लिए कई गुना कर दिया जाएगा। और उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है

English Sahih:

Indeed, the men who practice charity and the women who practice charity and [they who] have loaned Allah a goodly loan – it will be multiplied for them, and they will have a noble reward. ([57] Al-Hadid : 18)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग) ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस कर्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और उनका बहुत मुअज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही