مَآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ مِنْ اَهْلِ الْقُرٰى فَلِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ كَيْ لَا يَكُوْنَ دُوْلَةً ۢ بَيْنَ الْاَغْنِيَاۤءِ مِنْكُمْۗ وَمَآ اٰتٰىكُمُ الرَّسُوْلُ فَخُذُوْهُ وَمَا نَهٰىكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوْاۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِۘ ( الحشر: ٧ )
Ma afaa Allahu 'ala rasoolihi min ahli alqura falillahi walilrrasooli walithee alqurba waalyatama waalmasakeeni waibni alssabeeli kay la yakoona doolatan bayna alaghniyai minkum wama atakumu alrrasoolu fakhuthoohu wama nahakum 'anhu faintahoo waittaqoo Allaha inna Allaha shadeedu al'iqabi (al-Ḥašr 59:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जो कुछ अल्लाह ने अपने रसूल की ओर बस्तियोंवालों से लेकर पलटाया वह अल्लाह और रसूल और (मुहताज) नातेदार और अनाथों और मुहताजों और मुसाफ़िर के लिए है, ताकि वह (माल) तुम्हारे मालदारों ही के बीच चक्कर न लगाता रहे - रसूल जो कुछ तुम्हें दे उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दे उससे रुक जाओ, और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है। -
English Sahih:
And what Allah restored to His Messenger from the people of the towns – it is for Allah and for the Messenger and for [his] near relatives and orphans and the needy and the [stranded] traveler – so that it will not be a perpetual distribution among the rich from among you. And whatever the Messenger has given you – take; and what he has forbidden you – refrain from. And fear Allah; indeed, Allah is severe in penalty. ([59] Al-Hashr : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को देहात वालों से बे लड़े दिलवाया है वह ख़ास ख़ुदा और उसके रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और परदेसियों का है ताकि जो लोग तुममें से दौलतमन्द हैं हिर फिर कर दौलत उन्हीं में न रहे, हाँ जो तुमको रसूल दें दें वह ले लिया करो और जिससे मना करें उससे बाज़ रहो और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा सख्त अज़ाब देने वाला है