وَقَالُوْا هٰذِهٖٓ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ لَّا يَطْعَمُهَآ اِلَّا مَنْ نَّشَاۤءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا يَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهَا افْتِرَاۤءً عَلَيْهِۗ سَيَجْزِيْهِمْ بِمَا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ( الأنعام: ١٣٨ )
Waqaloo hathihi an'amun waharthun hijrun la yat'amuha illa man nashao biza'mihim waan'amun hurrimat thuhooruha waan'amun la yathkuroona isma Allahi 'alayha iftiraan 'alayhi sayajzeehim bima kanoo yaftaroona (al-ʾAnʿām 6:138)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और वे कहते है, 'ये जानवर और खेती वर्जित और सुरक्षित है। इन्हें तो केवल वही खा सकता है, जिसे हम चाहें।' - ऐसा वे स्वयं अपने ख़याल से कहते है - और कुछ चौपाए ऐसे है, जिनकी पीठों को (सवारी के लिए) हराम ठहरा लिया है और कुछ जानवर ऐसे है जिनपर अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़ा है, और वह शीघ्र ही उन्हें उनके झूठ घड़ने का बदला देगा
English Sahih:
And they say, "These animals and crops are forbidden; no one may eat from them except whom we will," by their claim. And there are those [camels] whose backs are forbidden [by them] and those upon which the name of Allah is not mentioned – [all of this] an invention of untruth about Him. He will punish them for what they were inventing. ([6] Al-An'am : 138)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
उनको सिवा उसके जिसे हम चाहें कोई नहीं खा सकता और (उनका ये भी ख्याल है) कि कुछ चारपाए ऐसे हैं जिनकी पीठ पर सवारी लादना हराम किया गया और कुछ चारपाए ऐसे है जिन पर (ज़िबह के वक्त) ख़ुदा का नाम तक नहीं लेते और फिर यह ढकोसले (ख़ुदा की तरफ मनसूब करते) हैं ये सब ख़ुदा पर इफ़तेरा व बोहतान है ख़ुदा उनके इफ़तेरा परदाज़ियों को बहुत जल्द सज़ा देगा