۞ قُلْ تَعَالَوْا اَتْلُ مَا حَرَّمَ رَبُّكُمْ عَلَيْكُمْ اَلَّا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَيْـًٔا وَّبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًاۚ وَلَا تَقْتُلُوْٓا اَوْلَادَكُمْ مِّنْ اِمْلَاقٍۗ نَحْنُ نَرْزُقُكُمْ وَاِيَّاهُمْ ۚوَلَا تَقْرَبُوا الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَۚ وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِيْ حَرَّمَ اللّٰهُ اِلَّا بِالْحَقِّۗ ذٰلِكُمْ وَصّٰىكُمْ بِهٖ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ( الأنعام: ١٥١ )
Qul ta'alaw atlu ma harrama rabbukum 'alaykum alla tushrikoo bihi shayan wabialwalidayni ihsanan wala taqtuloo awladakum min imlaqin nahnu narzuqukum waiyyahum wala taqraboo alfawahisha ma thahara minha wama batana wala taqtuloo alnnafsa allatee harrama Allahu illa bialhaqqi thalikum wassakum bihi la'allakum ta'qiloona (al-ʾAnʿām 6:151)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कह दो, 'आओ, मैं तुम्हें सुनाऊँ कि तुम्हारे रब ने तुम्हारे ऊपर क्या पाबन्दियाँ लगाई है: यह कि किसी चीज़ को उसका साझीदार न ठहराओ और माँ-बाप के साथ सद्व्य वहार करो और निर्धनता के कारण अपनी सन्तान की हत्या न करो; हम तुम्हें भी रोज़ी देते है और उन्हें भी। और अश्लील बातों के निकट न जाओ, चाहे वे खुली हुई हों या छिपी हुई हो। और किसी जीव की, जिसे अल्लाह ने आदरणीय ठहराया है, हत्या न करो। यह और बात है कि हक़ के लिए ऐसा करना पड़े। ये बाते है, जिनकी ताकीद उसने तुम्हें की है, शायद कि तुम बुद्धि से काम लो।
English Sahih:
Say, "Come, I will recite what your Lord has prohibited to you. [He commands] that you not associate anything with Him, and to parents, good treatment, and do not kill your children out of poverty; We will provide for you and them. And do not approach immoralities – what is apparent of them and what is concealed. And do not kill the soul which Allah has forbidden [to be killed] except by [legal] right. This has He instructed you that you may use reason." ([6] Al-An'am : 151)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम उनसे कहो कि (बेबस) आओ जो चीज़ें ख़ुदा ने तुम पर हराम की हैं वह मैं तुम्हें पढ़ कर सुनाऊँ (वह) यह कि किसी चीज़ को ख़ुदा का शरीक़ न बनाओ और माँ बाप के साथ नेक सुलूक़ करो और मुफ़लिसी के ख़ौफ से अपनी औलाद को मार न डालना (क्योंकि) उनको और तुमको रिज़क देने वाले तो हम हैं और बदकारियों के क़रीब भी न जाओ ख्वाह (चाहे) वह ज़ाहिर हो या पोशीदा और किसी जान वाले को जिस के क़त्ल को ख़ुदा ने हराम किया है न मार डालना मगर (किसी) हक़ के ऐवज़ में वह बातें हैं जिनका ख़ुदा ने तुम्हें हुक्म दिया है ताकि तुम लोग समझो और यतीम के माल के करीब भी न जाओ