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اِنَّ الَّذِيْنَ فَرَّقُوْا دِيْنَهُمْ وَكَانُوْا شِيَعًا لَّسْتَ مِنْهُمْ فِيْ شَيْءٍۗ اِنَّمَآ اَمْرُهُمْ اِلَى اللّٰهِ ثُمَّ يُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا يَفْعَلُوْنَ   ( الأنعام: ١٥٩ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
divide
فَرَّقُوا۟
फिरक़ा-फ़िरक़ा कर दिया
their religion
دِينَهُمْ
अपने दीन को
and become
وَكَانُوا۟
और हो गए वो
sects
شِيَعًا
गिरोह-गिरोह
you are not
لَّسْتَ
नहीं आप
with them
مِنْهُمْ
उनसे
in
فِى
किसी चीज़ में
anything
شَىْءٍۚ
किसी चीज़ में
Only
إِنَّمَآ
बेशक
their affair
أَمْرُهُمْ
मामला उनका
(is) with
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के है
Allah
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के है
then
ثُمَّ
फिर
He will inform them
يُنَبِّئُهُم
वो बता देगा उन्हें
of what
بِمَا
वो जो
they used to
كَانُوا۟
थे वो
do
يَفْعَلُونَ
वो करते

Inna allatheena farraqoo deenahum wakanoo shiya'an lasta minhum fee shayin innama amruhum ila Allahi thumma yunabbiohum bima kanoo yaf'aloona (al-ʾAnʿām 6:159)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों ने अपने धर्म के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और स्वयं गिरोहों में बँट गए, तुम्हारा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं। उनका मामला तो बस अल्लाह के हवाले है। फिर वह उन्हें बता देगा जो कुछ वे किया करते थे

English Sahih:

Indeed, those who have divided their religion and become sects – you, [O Muhammad], are not [associated] with them in anything. Their affair is only [left] to Allah; then He will inform them about what they used to do. ([6] Al-An'am : 159)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक जिन लोगों ने आपने दीन में तफरक़ा डाला और कई फरीक़ बन गए थे उनसे कुछ सरोकार नहीं उनका मामला तो सिर्फ ख़ुदा के हवाले है फिर जो कुछ वह दुनिया में नेक या बद किया करते थे वह उन्हें बता देगा (उसकी रहमत तो देखो)